జైశ్రీరామ్.
गणेशाय' नमः श्री गुरुभ्यो नमः |
हरिः ॐ ||
घनापाठः
गणाना''म् त्वा गणाना''म् गणाना''म् त्वा गणप'तिं गणप'तिं त्वा गणानां'' गणानां'' त्वा गणप'तिम् ||
त्वा गणप'तिं त्वात्वा गणप'तिग्^म् हवामहे हवामहे गणप'तिं त्वात्वा गणप'तिग्^म् हवामहे | गणप'तिग्^म् हवामहे हवामहे गणप'तिं गणप'तिग्^म् हवामहे कविन्कविग्^म् ह'वामहे गणप'तिं गणप'तिग्^म् हवामहे कविम् | गणप'तिमिति'गण-पतिम् ||
हवामहे कविं कविग्ं ह'वामहे हवामहे कविं क'वीनान्क'वीनां कविगं ह'वामहे हवामहे कविन्क'वीनाम् ||
कविन्क'वीनान्कवीनां कविन्कविं क'वीनामु'पमश्र'वस्तम मुपमश्र'वस्तम न्कवीनां कविन्कविं क'वीनामु'पमश्र'वस्तमम् ||
कवीनामु'पमश्र'व स्तममुपमश्र'वस्तमं कवीना न्क'वीना मु'पमश्र'वस्तमम् | उपमश्र'वस्तम मित्यु'पमश्र'वः-तमम् ||
ज्येष्टराजं ब्रह्म'णां ब्रह्म'णां ज्येष्ठराजं' ज्येष्ठराजं' ज्येष्ठराजं ब्रह्म'णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो ब्रह्म'णां ज्येष्ठराजं' ज्येष्ठराजं' ज्येष्ठराजं ब्रह्म'णां ब्रह्मणः | ज्येष्ठराजमिति'ज्येष्ठ राजम्'' ||
ब्रह्म'णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो ब्रह्म'णां ब्रह्म'णां ब्रह्मणस्पते पतेब्रह्मणो ब्रह्म'णां ब्रह्म'णां ब्रह्मणस्पते ||
ब्रह्मणस्पते पते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत आप'ते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत आ | पत आ प'तेपत आनो'न आप'ते पत आनः' ||
आनो'न आन'श्शृण्वन् छृण्वन्न आन'श्शृण्वन् | न श्शृण्वन् छृण्वन्नो'न श्शृण्वन्नूतिभि' रूतिभिश्शृण्वन्नो'न श्शृण्वन्नूतिभिः' ||
श्शृण्वन्नूतिभि' रूतिभिश्शृण्वन् छृण्वन्नूतिभि'स्सीद सीदोतिभि'श्शृण्वन् छृण्वन्नूतिभि'स्सीद ||
ऊतिभि'स्सीद सीदोतिभि' रूतिभि'स्सीद साद'नगं साद'नगं सीदोतिभि'रूतिभि'स्सीद साद'नम् | ऊतिभि रित्यूति-भिः ||
सीदसाद'नगं साद'नगं सीद सीद साद'नम् | साद'नमिति साद'नम् ||
జైహింద్.
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